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Shloka: | ददाति यत्पार्थिव यत्करोति यद्वा तपस्तप्यति यज्जुहोति । न तस्य नाशोऽस्ति न चापकर्षो नान्यस्तदश्नाति सएव कर्ता ॥ |
Reference: | 5.54.121.11.21(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>एकविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (121)>गालवचरितम्>श्लोक#21) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | एकविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (121) |
Akhyana: | गालवचरितम् |
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