Index Search for 'एतद्वाक्यं' |
Shloka: | धृतराष्ट्र उवाच -एतद्वाक्यं विदुर यत्ते सभायामिह प्रोक्तं पाण्डवान्प्राप्य मां च । हितं तेषामहितं मामकानामेतत्सर्वं मम नोपैति चेतः ॥ |
Reference: | 3.29.5.0.16(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आरण्यकपर्व>पञ्चमोऽध्यायः (05)>श्लोक#16) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आरण्यकपर्व |
Adhyaya: | पञ्चमोऽध्यायः (05) |
Akhyana: | |
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