Index Search for 'ऋषभस्य' |
Shloka: | नारद उवाच -ऋषभस्य ततः शृङ्गे निपत्य द्विजपक्षिणौ । शाण्डिलीं ब्राह्मणीं तत्र ददृशाते तपोन्विताम् ॥ |
Reference: | 5.54.111.11.1(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>एकादशाधिकशततमोऽध्यायः (111)>गालवचरितम्>श्लोक#1) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | एकादशाधिकशततमोऽध्यायः (111) |
Akhyana: | गालवचरितम् |
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