Index Search for 'ऋश्यमूके' |
Shloka: | निकृतः स ततो भ्रात्रा कस्मिंश्चित्कारणान्तरे ।ऋश्यमूके मया सार्धं सुग्रीवो न्यवसच्चिरम् ॥ |
Reference: | 3.33.147.0.27(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>सप्तचत्वारिंशदधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#27) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | सप्तचत्वारिंशदधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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