Index Search for 'ऋते' |
Shloka: | ऋते च धनमश्वानां नावाप्तिर्विद्यते तव । अर्थं याचात्र राजानं कंचिद्राजर्षिवंशजम् । अपीड्य राजा पौरान्हि यो नौ कुर्यात्कृतार्थिनौ ॥ |
Reference: | 5.54.112.11.5(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः (112)>गालवचरितम्>श्लोक#5) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः (112) |
Akhyana: | गालवचरितम् |
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