Index Search for 'ऋते' |
Shloka: | ऋते त्वां विबुधांश्चान्यान्कथं वै नार्हतः सवम् । अश्विनावपि देवेन्द्र देवौ विद्धि पुरंदर ॥ |
Reference: | 3.33.124.0.11(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>चतुर्विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (124)>श्लोक#11) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | चतुर्विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (124) |
Akhyana: | |
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