Index Search for 'ऋते' |
Shloka: | प्रविशन्तं च मां तत्र न कश्चिद्दृष्टवान्नरः ।ऋते तां पार्थिवसुतां भवतामेव तेजसा ॥ |
Reference: | 3.32.53.0.16(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>इन्द्रलोकाभिगमनपर्व>त्रिपञ्चाशत्तमोऽध्यायः (53)>श्लोक#16) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | इन्द्रलोकाभिगमनपर्व |
Adhyaya: | त्रिपञ्चाशत्तमोऽध्यायः (53) |
Akhyana: | |
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