Index Search for 'ऊहतुस्तौ' |
Shloka: | विवाजश्च सुवाजश्च तस्मिन्युक्तौ रथे हयौ ।ऊहतुस्तौ वसून्याशु तान्यगस्त्याश्रमं प्रति । सर्वान्राज्ञः सहागस्त्यान्निमेषादिव भारत ॥ |
Reference: | 3.33.97.0.15(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>सप्तनवतितमोऽध्यायः (97)>श्लोक#15) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | सप्तनवतितमोऽध्यायः (97) |
Akhyana: | |
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