Index Search for 'ऊषुस्तां' |
Shloka: | तं ते दिवसशेषेण वटं गत्वा तु पाण्डवाः ।ऊषुस्तां रजनीं वीराः संस्पृश्य सलिलं शुचि । उदकेनैव तां रात्रिमूषुस्ते दुःखकर्शिताः ॥ |
Reference: | 3.29.1.0.40(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आरण्यकपर्व>प्रथमोऽध्यायः (01)>श्लोक#40) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आरण्यकपर्व |
Adhyaya: | प्रथमोऽध्यायः (01) |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|