Index Search for 'ऊर्ध्वं' |
Shloka: | ऊर्ध्वं तु षोडशाद्वर्षाद्ये भवन्ति ग्रहा नृणाम् । तानहं संप्रवक्ष्यामि नमस्कृत्य महेश्वरम् ॥ |
Reference: | 3.37.219.0.45(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#45) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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