Index Search for 'ऊचुः' |
Shloka: | ऋषयऊचुः - निमज्जमानं व्यसनैरभिद्रुतं कुलं नरेन्द्रस्य तमोमये ह्रदे । त्वया सुशीले धृतधर्मपुण्यया समुद्धृतं साध्वि पुनः कुलीनया ॥ |
Reference: | 3.42.282.0.43(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्वयशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#43) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्वयशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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