Index Search for 'ऊचुः' |
Shloka: | ब्राह्मणाऊचुः - पुत्रेण संगतं त्वाद्य चक्षुष्मन्तं निरीक्ष्य च । सर्वे वयं वै पृच्छामो वृद्धिं ते पृथिवीपते ॥ |
Reference: | 3.42.282.0.22(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्वयशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#22) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्वयशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|