Index Search for 'ऊचुः' |
Shloka: | मातरऊचुः - परिरक्षाम भद्रं ते प्रजाः स्कन्द यथेच्छसि । त्वया नो रोचते स्कन्द सहवासश्चिरं प्रभो ॥ |
Reference: | 3.37.219.0.21(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#21) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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