Index Search for 'ऊचुः' |
Shloka: | मातरऊचुः - भवेम सर्वलोकस्य वयं मातर उत्तमाः । प्रसादात्तव पूज्याश्च प्रियमेतत्कुरुष्व नः ॥ |
Reference: | 3.37.217.0.7(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>सप्तदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#7) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | सप्तदशाधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|