Index Search for 'ऊचुः' |
Shloka: | राक्षसाऊचुः - आक्रीडोऽयं कुबेरस्य दयितः पुरुषर्षभ । नेह शक्यं मनुष्येण विहर्तुं मर्त्यधर्मिणा ॥ |
Reference: | 3.33.152.0.4(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>द्विपञ्चाशदधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#4) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | द्विपञ्चाशदधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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