Index Search for 'ऊचुः' |
Shloka: | देवाऊचुः - करिष्य इति संश्रुत्य पूर्वमस्मासु नैषध । न करिष्यसि कस्मात्त्वं व्रज नैषध माचिरम् ॥ |
Reference: | 3.32.52.0.8(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>इन्द्रलोकाभिगमनपर्व>द्विपञ्चाशत्तमोऽध्यायः (52)>श्लोक#8) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | इन्द्रलोकाभिगमनपर्व |
Adhyaya: | द्विपञ्चाशत्तमोऽध्यायः (52) |
Akhyana: | |
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