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Shloka: | ईदृशं भवती कंचिदुपायमनुपश्यति । तन्मे परिणतप्रज्ञे सम्यक्प्रब्रूहि पृच्छते । करिष्यामि हि तत्सर्वं यथावदनुशासनम् ॥ |
Reference: | 5.54.133.12.21(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>त्रयस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (133)>विदुरापुत्रानुशासनम्>श्लोक#21) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | त्रयस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (133) |
Akhyana: | विदुरापुत्रानुशासनम् |
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