Index Search for 'इहागतो' |
Shloka: | ऋश्यशृङ्ग उवाच -इहागतो जटिलो ब्रह्मचारी न वै ह्रस्वो नातिदीर्घो मनस्वी । सुवर्णवर्णः कमलायताक्षः सुतः सुराणामिव शोभमानः ॥ |
Reference: | 3.33.112.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः (112)>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः (112) |
Akhyana: | |
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