Index Search for 'इष्टिरष्टाकपालेन' |
Shloka: | दक्षिणाग्निर्यदा द्वाभ्यां संसृजेत तदा किल ।इष्टिरष्टाकपालेन कार्या वै वीतयेऽग्नये ॥ |
Reference: | 3.37.211.0.25(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकादशाधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#25) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकादशाधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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