Index Search for 'इवास्मानुपतिष्ठन्तु' |
Shloka: | अजातशत्रुर्हि विमुक्तरागो धर्मेणेमां पृथिवीं शास्तु राजन् । ततो राजन्पार्थिवाः सर्व एव वैश्याइवास्मानुपतिष्ठन्तु सद्यः ॥ |
Reference: | 3.29.5.0.13(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आरण्यकपर्व>पञ्चमोऽध्यायः (05)>श्लोक#13) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आरण्यकपर्व |
Adhyaya: | पञ्चमोऽध्यायः (05) |
Akhyana: | |
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