Index Search for 'इवाभवत्' |
Shloka: | मार्कण्डेय उवाच - एवमाश्वासितस्तैस्तु सत्यवाग्भिस्तपस्विभिः । तांस्तान्विगणयन्नर्थानवस्थितइवाभवत् ॥ |
Reference: | 3.42.282.0.20(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्वयशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#20) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्वयशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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