Index Search for 'इव' |
Shloka: | मत्तभ्रमरजुष्टानि बर्हिणाभिरुतानि च । अगच्छदानुपूर्व्येण पुण्यं द्वैतवनं सरः । ऋद्ध्या परमया युक्तो महेन्द्रइव वज्रभृत् ॥ |
Reference: | 3.39.229.0.13(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>घोषयात्रापर्व>एकोनत्रिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#13) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | घोषयात्रापर्व |
Adhyaya: | एकोनत्रिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|