Index Search for 'इव' |
Shloka: | तेषां देहान्विनिर्भिद्य शरास्ते निशितास्तदा । निष्पतन्तो अदृश्यन्त नगेभ्यइव पन्नगाः ॥ |
Reference: | 3.37.221.0.45(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#45) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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