Index Search for 'इलास्पदं' |
Shloka: | तिस्रः कोट्यस्तु तीर्थानां सरके कुरुनन्दन । रुद्रकोटिस्तथा कूपे ह्रदेषु च महीपते ।इलास्पदं च तत्रैव तीर्थं भरतसत्तम ॥ |
Reference: | 3.33.81.0.63(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>एकाशीतितमोऽध्यायः (81)>श्लोक#63) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | एकाशीतितमोऽध्यायः (81) |
Akhyana: | |
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