Index Search for 'इमामश्वशताभ्यां' |
Shloka: | इमामश्वशताभ्यां वै द्वाभ्यां तस्मै निवेदय । विश्वामित्राय धर्मात्मन्षड्भिरश्वशतैः सह । ततोऽसि गतसंमोहः कृतकृत्यो द्विजर्षभ ॥ |
Reference: | 5.54.117.11.9(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>सप्तदशाधिकशततमोऽध्यायः (117)>गालवचरितम्>श्लोक#9) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | सप्तदशाधिकशततमोऽध्यायः (117) |
Akhyana: | गालवचरितम् |
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