Index Search for 'इमं' |
Shloka: | द्रौपद्युवाच -इमं तु ते मार्गमपेतदोषं वक्ष्यामि चित्तग्रहणाय भर्तुः । यस्मिन्यथावत्सखि वर्तमाना भर्तारमाच्छेत्स्यसि कामिनीभ्यः ॥ |
Reference: | 3.38.223.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदी-सत्यभामासंवादपर्व>त्रयोविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदी-सत्यभामासंवादपर्व |
Adhyaya: | त्रयोविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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