Index Search for 'इन्द्रोऽपि' |
Shloka: | यस्या हि कृष्णौ पदवीं चरेतां समास्थितावेकरथे सहायौ ।इन्द्रोऽपि तां नापहरेत्कथं चिन्मनुष्यमात्रः कृपणः कुतोऽन्यः ॥ |
Reference: | 3.42.252.0.14(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>द्विपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#14) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | द्विपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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