Index Search for 'इन्द्रियाणि' |
Shloka: | ब्राह्मण उवाच -इन्द्रियाणि तु यान्याहुः कानि तानि यतव्रत । निग्रहश्च कथं कार्यो निग्रहस्य च किं फलम् ॥ |
Reference: | 3.37.200.0.53(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>द्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#53) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | द्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|