Index Search for 'इन्द्रियाणां' |
Shloka: | कर्मोदयं सुखमाशंसमानः कृच्छ्रोपायं तत्त्वतः कर्म दुःखम् । सुखप्रेप्सुर्विजिघांसुश्च दुःखं यइन्द्रियाणां प्रीतिवशानुगामी । कामाभिध्या स्वशरीरं दुनोति यया प्रयुक्तोऽनुकरोति दुःखम् ॥ |
Reference: | 5.50.26.0.4(उद्योगपर्व>सञ्जययानपर्व>षड्विंशोऽध्यायः (26)>श्लोक#4) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | सञ्जययानपर्व |
Adhyaya: | षड्विंशोऽध्यायः (26) |
Akhyana: | |
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