Index Search for 'इन्द्रजित्कृतकर्मा' |
Shloka: | इन्द्रजित्कृतकर्मा तु पित्रे कर्म तदात्मनः । निवेद्य पुनरागच्छत्त्वरयाजिशिरः प्रति ॥ |
Reference: | 3.42.273.0.15(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्रिसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#15) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्रिसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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