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Shloka: | इन्द्र उवाच - सर्वाणि कर्माणि समाप्य राजन्गृहान्परित्यज्य वनं गतोऽसि । तत्त्वां पृच्छामि नहुषस्य पुत्र केनासि तुल्यस्तपसा ययाते ॥ |
Reference: | 1.7.83.3.1(आदिपर्व>संभवपर्व>त्र्यशीतितमोऽध्यायः (83)>उत्तरयायातम्>श्लोक#1) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | त्र्यशीतितमोऽध्यायः (83) |
Akhyana: | उत्तरयायातम् |
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