Index Search for 'इन्द्र' |
Shloka: | इन्द्र उवाच - यथैव भवता चेदं तपो वेदार्थमुद्यतम् । अशक्यं तद्वदस्माभिरयं भारः समुद्यतः ॥ |
Reference: | 3.33.135.0.38(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>पञ्चत्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (135)>श्लोक#38) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | पञ्चत्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (135) |
Akhyana: | |
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