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Shloka: | इन्द्र उवाच - उभावेतौ न सोमार्हौ नासत्याविति मे मतिः । भिषजौ देवपुत्राणां कर्मणा नैवमर्हतः ॥ |
Reference: | 3.33.124.0.9(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>चतुर्विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (124)>श्लोक#9) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | चतुर्विंशत्यधिकशततमोऽध्यायः (124) |
Akhyana: | |
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