Index Search for 'इन्दुः' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच - गुरोः सकाशात् समवाप्य विद्याम् भित्त्वा कुक्षिम् निर्विचक्राम विप्रः । कचः अभिरूपः दक्षिणम् ब्राह्मणस्य शुक्ला अत्यये पौर्णमास्याम् इवइन्दुः ॥ |
Reference: | 1.7.71.2.49(आदिपर्व>संभवपर्व>एकसप्ततितमोऽध्यायः (71)>ययात्युपाख्यान>श्लोक#49) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | संभवपर्व |
Adhyaya: | एकसप्ततितमोऽध्यायः (71) |
Akhyana: | ययात्युपाख्यान |
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