Index Search for 'इत्येवं' |
Shloka: | इत्येवं नियमेन त्वं दद्याः शक्राय कुण्डले । तया त्वं कर्ण संग्रामे हनिष्यसि रणे रिपून् ॥ |
Reference: | 3.43.286.0.15(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>कुन्दलाहरणपर्व>षडशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#15) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | कुन्दलाहरणपर्व |
Adhyaya: | षडशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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