Index Search for 'इत्येवं' |
Shloka: | कथमुत्सृज्य वैदेहीं वने राक्षससेविते ।इत्येवं भ्रातरं दृष्ट्वा प्राप्तोऽसीति व्यगर्हयत् ॥ |
Reference: | 3.42.263.0.11(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्रिषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#11) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्रिषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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