Index Search for 'इत्येव' |
Shloka: | यो हि तेजो यथाशक्ति न दर्शयति विक्रमात् । क्षत्रियो जीविताकाङ्क्षी स्तेनइत्येव तं विदुः ॥ |
Reference: | 5.54.132.12.2(उद्योगपर्व>भगवद्यानपर्व>द्वात्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (132)>विदुरापुत्रानुशासनम्>श्लोक#2) |
Parva: | उद्योगपर्व |
Upaparva: | भगवद्यानपर्व |
Adhyaya: | द्वात्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (132) |
Akhyana: | विदुरापुत्रानुशासनम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|