Index Search for 'इत्येव' |
Shloka: | इत्येव ते तद्वनमाविशन्तो महत्यरण्ये मृगयां चरित्वा । बालामपश्यन्त तदा रुदन्तीं धात्रेयिकां प्रेष्यवधूं प्रियायाः ॥ |
Reference: | 3.42.253.0.9(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>त्रिपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#9) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | त्रिपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|