Index Search for 'इत्येव' |
Shloka: | अप्यहं कृतकामः स्यामिमां प्राप्य वरस्त्रियम् । गच्छ जानीहि को न्वस्या नाथइत्येव कोटिक ॥ |
Reference: | 3.42.248.0.16(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>अष्टचत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#16) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | अष्टचत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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