Index Search for 'इत्युच्यमानः' |
Shloka: | इत्युच्यमानः पार्थेन सैन्धवो न न्यवर्तत । तिष्ठ तिष्ठेति तं भीमः सहसाभ्यद्रवद्बली । मा वधीरिति पार्थस्तं दयावानभ्यभाषत ॥ |
Reference: | 3.42.255.0.59(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>पञ्चपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#59) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | पञ्चपञ्चाशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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