Index Search for 'इत्युक्त्वान्तर्हितस्तात' |
Shloka: | मार्कण्डेय उवाच -इत्युक्त्वान्तर्हितस्तात स देवः परमाद्भुतः । प्रजाश्चेमाः प्रपश्यामि विचित्रा बहुधाकृताः ॥ |
Reference: | 3.37.187.0.48(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>सप्ताशीत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#48) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | सप्ताशीत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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