Index Search for 'इत्युक्त्वा' |
Shloka: | मार्कण्डेय उवाच -इत्युक्त्वा पितृराजस्तां भगवान्स्वं चिकीर्षितम् । यथावत्सर्वमाख्यातुं तत्प्रियार्थं प्रचक्रमे ॥ |
Reference: | 3.42.281.0.14(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>एकाशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#14) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | एकाशीत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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