Index Search for 'इत्युक्ता' |
Shloka: | इत्युक्ता तेन वैदेही परिवृत्य शुभानना । तृणमन्तरतः कृत्वा तमुवाच निशाचरम् ॥ |
Reference: | 3.42.265.0.17(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>पञ्चषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#17) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | पञ्चषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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