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Shloka: | स तातइति विप्रर्षिं वसिष्ठं प्रत्यभाषत । मातुः समक्षं कौन्तेय अदृश्यन्त्याः परंतप ॥ |
Reference: | 1.11.169.6.5(आदिपर्व>चैत्ररथपर्व>एकोनसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः>और्वोपाख्यान>श्लोक#5) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | चैत्ररथपर्व |
Adhyaya: | एकोनसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | और्वोपाख्यान |
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