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Shloka: | तस्मादस्माभिरप्यत्र दैत्याः शतसहस्रशः । नियुक्ता राक्षसाश्चैव ये ते संशप्तकाइति । प्रख्यातास्तेऽर्जुनं वीरं निहनिष्यन्ति मा शुचः ॥ |
Reference: | 3.39.240.0.22(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>घोषयात्रापर्व>चत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#22) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | घोषयात्रापर्व |
Adhyaya: | चत्वारिंशदधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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