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Shloka: | बाहुक उवाच - पुण्यश्लोकस्य वै सूतो वार्ष्णेयइति विश्रुतः । स नले विद्रुते भद्रे भाङ्गस्वरिमुपस्थितः ॥ |
Reference: | 3.32.72.0.11(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>इन्द्रलोकाभिगमनपर्व>द्विसप्ततितमोऽध्यायः (72)>श्लोक#11) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | इन्द्रलोकाभिगमनपर्व |
Adhyaya: | द्विसप्ततितमोऽध्यायः (72) |
Akhyana: | |
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