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Shloka: | इतः परं च राजेन्द्र द्रक्ष्यन्ति वनगोचराः । उपस्थास्यन्ति च सदा रक्षिष्यन्ति च सर्वशः ॥ |
Reference: | 3.35.159.0.13(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>यक्षयुद्धपर्व>एकोनषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#13) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | यक्षयुद्धपर्व |
Adhyaya: | एकोनषष्ट्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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