Index Search for 'इच्छामि' |
Shloka: | गतेन तेनास्मि कृतो विचेता गात्रं च मे संपरितप्यतीव ।इच्छामि तस्यान्तिकमाशु गन्तुं तं चेह नित्यं परिवर्तमानम् ॥ |
Reference: | 3.33.112.0.17(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः (112)>श्लोक#17) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | द्वादशाधिकशततमोऽध्यायः (112) |
Akhyana: | |
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