Index Search for 'इङ्गितज्ञास्ततो' |
Shloka: | इङ्गितज्ञास्ततो भर्तुश्चत्वारो रजनीचराः । चतुर्ष्वङ्गेषु जगृहुः शार्दूलमिव पक्षिणः ॥ |
Reference: | 3.42.268.0.18(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>अष्टषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#18) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | अष्टषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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