Index Search for 'इक्ष्वाकौ' |
Shloka: | मार्कण्डेय उवाच -इक्ष्वाकौ संस्थिते राजञ्शशादः पृथिवीमिमाम् । प्राप्तः परमधर्मात्मा सोऽयोध्यायां नृपोऽभवत् ॥ |
Reference: | 3.37.193.0.1(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>त्रिनवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#1) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | त्रिनवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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